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Showing posts from March 8, 2019

नरक और नेता - ओशो

आपुई गई हिराय-(प्रश्नत्तोर)-प्रवचन-01 आपुई गई हिराय-(प्रश्नत्तोर)-ओशो दिनांक 0 1 -फरवरी ,  सन् 1981 , ओशो आश्रम ,  पूना। प्रवचन-पहला  –( नी सईयो मैं गई गुवाची) मोरारजी देसाई और नर्क— मोरारजी देसाई जब इस प्‍यारी दुनियां से चल बसे ,  तब उन्‍होंने सोचा की हो-न-हो मुझे तो जरूर ही स्‍वर्ग में जगह मिलेगी। पर ये स्‍वर्ग दिल्‍ली तो नहीं था। न ही वहां दिल्‍ली की कोई साठ गांठ ही चल सकती थी। पहुंच गये नर्क में। शैतान ने कहा कि आप ऐसे भले आदमी है , खादी पहनते है। और एक कुर्ता भी मोरारजी देसाई दो दिन पहनते है। इसलिए जब वह बैठते है ,  कुर्सी पर तो पहले कुरते को दोनों तरफ से उठा लेते है। क्‍या बचत कर रहे है ,  अरे गरीब देश है ,  बचत तो करनी ही पड़ेगी। इस तरह एक दफा और लोहा करने की बचत हो जाती है। पहले  दोनों पुछल्ला ऊपर उठा कर बैठ गए , ताकि सलवटें न पड़े। सिद्ध पुरूष है ,  चर्खा हमेशा बगल में दबाए रखते है। चलाएँ या न चलाए। शैतान ने कहा कि और आप काम ऊंचे करते रहे ,  गजब के काम करते रहे ,  तो आपको हम एक अवसर देते है कि नरक में तीन खंड है , आप चुन ले। आम तौर स