आपुई गई हिराय-(प्रश्नत्तोर)-प्रवचन-01 आपुई गई हिराय-(प्रश्नत्तोर)-ओशो दिनांक 0 1 -फरवरी , सन् 1981 , ओशो आश्रम , पूना। प्रवचन-पहला –( नी सईयो मैं गई गुवाची) मोरारजी देसाई और नर्क— मोरारजी देसाई जब इस प्यारी दुनियां से चल बसे , तब उन्होंने सोचा की हो-न-हो मुझे तो जरूर ही स्वर्ग में जगह मिलेगी। पर ये स्वर्ग दिल्ली तो नहीं था। न ही वहां दिल्ली की कोई साठ गांठ ही चल सकती थी। पहुंच गये नर्क में। शैतान ने कहा कि आप ऐसे भले आदमी है , खादी पहनते है। और एक कुर्ता भी मोरारजी देसाई दो दिन पहनते है। इसलिए जब वह बैठते है , कुर्सी पर तो पहले कुरते को दोनों तरफ से उठा लेते है। क्या बचत कर रहे है , अरे गरीब देश है , बचत तो करनी ही पड़ेगी। इस तरह एक दफा और लोहा करने की बचत हो जाती है। पहले दोनों पुछल्ला ऊपर उठा कर बैठ गए , ताकि सलवटें न पड़े। सिद्ध पुरूष है , चर्खा हमेशा बगल में दबाए रखते है। चलाएँ या न चलाए। शैतान ने कहा कि और आप काम ऊंचे करते रहे , गजब के काम करते रहे , तो आपको हम एक अवसर देते है कि नरक में तीन खंड है , आप चुन ले। आम तौर स
Get the books of osho's discourses in PDF format. Osho's Quotes and answers by osho of different questions asked to him. Blog is all about Osho's Spiritual Journey. You can comment to get the book of osho you want.