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Showing posts from March 20, 2019

12 Rare Photos Of Osho and Maa Aanand Sheela

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ध्यान और गर्भकाल - ओशो

ध्यान और गर्भकाल - ओशो  भगवान श्री, गर्भ से पहले और गर्भकाल में यदि माता-पिता ध्यान करते हैं, तो बच्चे पर इसका क्या असर पड़ता है?  निश्चित ही, बच्चे का जीवन जन्म के बाद शुरू नहीं होता। वह तो गर्भाधारण के समय ही शुरू हो जाता है। उसका शरीर ही नहीं बनता मां के पेट, उसका मन भी बनता है, उसका हृदय भी बनता है। मां अगर दुखी है, परेशान है, चिंतित है, तो ये घाव बच्चे पर छूट जाएंगे और ये घाव बहुत गहरे होंगे, जिनको वह जीवन भर धोकर भी न धो न सकेगा। मां अगर क्रोधित है, झगड़ता है, हर छोटी-मोटी बात का बतंगड़ बना बैठती है, इस सबके परिणाम बच्चे पर होने वाले हैं। पति का तो बहुत कम असर बच्चे पर होता है, न के बराबर। निन्यानबे प्रतिशत तो मां ही निर्माण करती है बच्चे का, इसलिए जिम्मेवारी उसकी ज्यादा है। पिता तो एक सामाजिक संस्था है। एक जमाना था, पति नहीं था, और एक जमाना फिर होगा, पिता नहीं होगा। लेकिन मां पहले भी थी, और मां बाद में भी होगी।  मां प्राकृतिक है, पिता सामाजिक है।  पिता एक संस्था है। उसका काम बहुत ही साधारण है जो कि एक इंजेक्शन से भी किया जा सकता है। और इंजेक्शन से ही किया जाएगा भविष्य में।