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Showing posts from February 25, 2019

मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का रहस्य: ओशो

मूर्ति की प्राण—प्रतिष्ठा का रहस्य: प्रश्न: ओशो प्राण—प्रतिष्ठा का क्या महत्व है ?   हां ,  बहुत महत्व है। असल में ,  प्राण—प्रतिष्ठा का मतलब ही यह है। उसका मतलब ही यह है कि हम एक नई मूर्ति तो बना रहे हैं , लेकिन पुराने समझौते के अनुसार बना रहे हैं। और पुराना समझौता पूरा हुआ कि नहीं ,  इसके इंगित मिलने चाहिए। हम अपनी तरफ से जो पुरानी व्यवस्था थी ,  वह पूरी दोहराएंगे। हम उस मूर्ति को अब मृत न मानेंगे ,  अब से हम उसे जीवित मानेंगे। हम अपनी तरफ से पूरी व्यवस्था कर देंगे जो जीवित मूर्ति के लिए की जानी थी। और अब सिंबालिक प्रतीक मिलने चाहिए कि वह प्राण—प्रतिष्ठा स्वीकार हुई कि नहीं। वह दूसरा हिस्सा है ,  जो कि हमारे खयाल में नहीं रह गया। अगर वह न मिले ,  तो प्राण—प्रतिष्ठा हमने तो की ,  लेकिन हुई नहीं। उसके सबूत मिलने चाहिए। तो उसके सबूत के लिए चिह्न खोजे गए थे कि वे सबूत मिल जाएं तो ही समझा जाए कि वह मूर्ति सक्रिय हो गई।  मूर्ति एक रिसीविंग प्‍वाइंट: ऐसा ही समझ लें कि आप घर में एक नया रेडियो इंस्टाल करते हैं। तो पहले तो वह रेडियो ठीक होना चाहिए ,  उसकी सारी यंत्र