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Showing posts from March 9, 2019

हारे हुए नेता - ओशो

हारे हुए नेता जी .......... -ओशो  अभी मैंने सुना कि जब जनता पार्टी हार गई और जनता पार्टी के नेता सब बेकार हो गए और हालत उनकी खस्ता हो गई--गए सब पद ,  गए सब बंगले ,  गई सब कारें ,  लूट-खसोट के सब अवसर भी गए--तो जगह-जगह तलाश करने लगे काम की। और राजनेताओं को कौन काम दे! लोग वोट दे देते हैं कि लो भई वोट ले लो , सार्वजनिक संपत्ति को लूटो ,  मगर काम पर अपने घर में कौन रखे! राजनेता को कोई अपने घर में रखेगा काम पर ,  क्या हरकत करे क्या पता! कोई काम देने को राजी नहीं। तो एक राजनेता ,  सरकस आई थी ,  उसमें चला गया। सरकस के मैनेजर से कहा कि अब तो बहुत हालत हो रही है ,  कड़की की हालत हो गई है। कोई न कोई काम चाहिए। उसने कहा ,  भाई और तो कोई काम नहीं है , हमारा सिंह मर गया है ,  तो उसकी खाल निकाल कर रख ली है ,  तुम उसमें प्रवेश कर जाओ। और तुम्हारे साथ में हम टेप-रिकार्डर दे देते हैं ,  सो अंदर से ही समय-समय पर टेप-रिकार्डर ,  अपने आप ,  आटोमेटिक है हुंकार भरेगा। इसमें रेकार्ड की हुई है सिंह की हुंकार। सो यह जब हुंकार भरे ,  तुम मुंह बा देना। दहाड़ जाएगा। एकदम सारे सरकस में आए लोगों की छ