साहिब मिले साहिब भये-(प्रश्नोंत्तर)-प्रवचन-02 साहिब मिले साहिब भये-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो ये फूल लपटें ला सकते हैं—दूसरा प्रवचन १२ जुलाई १९८० ; श्री रजनीश आश्रम , पूना आदमी इतना अचेतन है जिसका हिसाब नहीं। कल ही अखबारों में मैंने पढ़ा , स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रधान श्री प्रमुख स्वामी जी लंदन में हैं। वे इंग्लैंड के केंटरबरी के आर्चबिशप से मिलने जानेवाले हैं। इंग्लैंड का सबसे बड़ा जो धर्मगुरु। सब तय हो गया , शायद आज कल में कभी मिलने की तिथि है , लेकिन अभी आखिर-आखिर में उन्होंने अपनी शर्तें भेजी। श्री प्रमुख स्वामी स्त्री का चेहरा नहीं देखते। तो उन्होंने अभी-अभी उन्हें खबर भेजी है कि जब मैं मिलने आऊं तो कोई स्त्री उपस्थित नहीं होनी चाहिए। सारे इंग्लैंड में उपद्रव मच गया। यह कोई हिंदुस्तान तो नहीं है कि स्त्रियां चुपचाप सह लेंगी। कि उन्हीं महात्माओं का व्याख्यान सुनती रहेंगी जो उनको "ढोल गंवार सूद्र पसू नारी ' कह रहे हैं। उन्हीं महात्माओं का प्रवचन सुनती रहेंगी जो उनको नरक का द्वार बता रहे हैं। उन्हीं महात्माओं के पैर दबाती रहेंगी , यह कोई ह
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