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Showing posts from March 10, 2019

कुंडलिनी (भाग-2) Kundalini (part-2) - osho

कुंडलिनी (भाग-2)   Kundalini (part-2) भाग-1 :- 👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻 कुंडलिनी (भाग-1) Kundalini (part-1) दूसरा प्रश्नः ओशो, आप कभी-कभी अति कठोर उत्तर क्यों देते हैं? जैसे कुंडलिनी के संबंध में दिया आप का उत्तर। वैसे आप कुछ भी कहें, inकुंडलिनी जगानी तो मुझे भी है। स्वरूपानंद, फिर तुम्हारी मर्जी! वैसे भी स्त्री जाति को छेड़ना नहीं चाहिए। और सोई स्त्री को तो बिल्कुल छेड़ना ही मत! अब कुंडलिनी बाई सोई हैं, तुम काहे पीछे पड़े हो! तुम्हें और कोई काम नहीं! और जगा कर भी क्या करना है? खुद जागो कि कुंडलिनी को जगाना है! ये भी खुद को जगाने से बचाने के उपाय हैं। कोई कहेगा कि हमें चक्र जगाने हैं। जगा लो, घनचक्कर हो जाओगे! किसी को कुंडलिनी जगानी है, किसी को रिद्धि-सिद्धि पानी है। करोगे क्या? रिद्धि-सिद्धि पाकर करोगे क्या? हाथ से राख निकालने लगोगे तो कुछ हो जाएगा दुनिया में! मदारीगिरी में मत पड़ो! खुद को जगाओ, चैतन्य को जगाओ, बोध को जगाओ, जागरूक बनो, यह तो समझ में आता है, मगर कुंडलिनी को जगाना है! न तुम्हें पता है कि कुंडलिनी क्या है, न तुम्हें पता है कि उसका प्रयोजन क्या है, और चूंकि तुम