Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2019

भारत मे स्त्रियों का अपमान और भारत के साधु संन्यासी - ओशो

साहिब मिले साहिब भये-(प्रश्नोंत्तर)-प्रवचन-02 साहिब मिले साहिब भये-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो ये फूल लपटें ला सकते हैं—दूसरा प्रवचन १२ जुलाई १९८० ;  श्री रजनीश आश्रम ,  पूना आदमी इतना अचेतन है जिसका हिसाब नहीं। कल ही अखबारों में मैंने पढ़ा ,  स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रधान श्री प्रमुख स्वामी जी लंदन में हैं। वे इंग्लैंड के केंटरबरी के आर्चबिशप से मिलने जानेवाले हैं। इंग्लैंड का सबसे बड़ा जो धर्मगुरु। सब तय हो गया ,  शायद आज कल में कभी मिलने की तिथि है ,  लेकिन अभी आखिर-आखिर में उन्होंने अपनी शर्तें भेजी। श्री प्रमुख स्वामी स्त्री का चेहरा नहीं देखते। तो उन्होंने अभी-अभी उन्हें खबर भेजी है कि जब मैं मिलने आऊं तो कोई स्त्री उपस्थित नहीं होनी चाहिए। सारे इंग्लैंड में उपद्रव मच गया। यह कोई हिंदुस्तान तो नहीं है कि स्त्रियां चुपचाप सह लेंगी। कि उन्हीं महात्माओं का व्याख्यान सुनती रहेंगी जो उनको "ढोल गंवार सूद्र पसू नारी '  कह रहे हैं। उन्हीं महात्माओं का प्रवचन सुनती रहेंगी जो उनको नरक का द्वार बता रहे हैं। उन्हीं महात्माओं के पैर दबाती रहेंगी ,  यह कोई ह

मुल्ला नसीरुद्दीन की लंबी उम्र का राज़ - ओशो

अष्‍टावक्र: महागीता--(प्रवचन--13)   जब जागो तभी सवेरा—    प्रवचन—तैरहवां 23 सितंबर,1976  ओशो आश्रम  कोरेगांव पार्क, पूना। जनक उवाच। मुल्ला नसरुद्दीन सौ साल का हो गया ,  तो दूर—दूर से अखबारनवीस उसका इंटरव्यू लेने आए। सौ साल का हो गया आदमी! वे उससे पूछने आए कि तुम्हारे स्वास्थ्य का राज क्या है ? तुम अब भी चलते हो ,  फिरते हो! तुम प्रसन्नचित्त दिखाई पड़ते हो। तुम्हारे शरीर में कोई बीमारी नहीं। तुम्हारा राज क्या है ? तो मुल्ला ने कहा ,  मेरा राज! मैंने कभी शराब नहीं पी ,  धूम्रपान नहीं किया! नियम से जीया। नियम से सोया—उठा ,  संयम ही मेरे जीवन का और मेरे स्वास्थ्य का राज है। वह इतना कह ही रहा था कि बगल के कमरे में जोर से कुछ अलमारी गिरी तो वे सब चौंक गए। पत्रकारों ने पूछा ,  यह क्या मामला है ?  तो उसने कहा ,  ये मेरे पिताजी हैं! वे मालूम होता है कि फिर शराब पी कर आ गए! कोई आदमी सौ साल जिंदा रह जाता है , वह सोचता है मैंने शराब नहीं पी ,  इसीलिए जिंदा हूं सौ साल। उनके पिताजी पी कर अभी आए हैं। उन्होंने अलमारी गिरा दी है। अगर कोई जैन ज

आप में असंभव संभव हुआ है - ओशो

कानो सुनी सो झूठ सब--प्रवचन-04 कानो  सुनी सो झूठ सब-(दरिया) सुख-दुख से कोई परे परम पद प्रवचन: चौथा दिनांक: १४.७. १९७७ श्री रजनीश आश्रम ,  पूना आखिरी प्रश्न: आप में असंभव संभव हुआ है ,  अघट घटित हुआ है। और आपको समझना भी असंभव सा ही लगता है। ऐसा क्यों ? प्रवचन सुनें (Audio File) समझना चाहोगे तो असंभव हो जाएगा। समझने की चाह में ही दूरी पैदा हो जाती है। तुम प्रेम से सुनो ,  समझने इत्यादि की फिक्र छोड़ो। तुम सिर्फ प्रेम से सुनो और समझ जाओगे। समझने चले तो चूक जाओगे। क्यों ?  क्योंकि जब तुम समझने बैठते हो तब तुम बुद्धि को बीच में ले आते हो। तुम पूरे वक्त सजग होकर देख रहे हो कि कौन सी बात ठीक , कौन सी बात ठीक नहीं। कौन सी बात ठीक नहीं। कौन सी बात तर्क के अनुकूल ,  कौन सी बात तर्क के प्रतिकूल। कौन सी बात मेरे शास्त्र के अनुकूल ,  कौन सी बात मेरे शास्त्र के प्रतिकूल। तुम इस सब उधेड़बुन में पड़ जाते हो। वह शास्त्र की धूल तुम्हारे भीतर अंधड़ होकर उठने लगती है। तुम मुझे तो भूल ही जाते हो। उस अंधड़ में तुम्हें कभी-कभी कुछ-कुछ सुनाई पड़ता है। कुछ का कुछ भी सुनाई पड़ता

Pictures of Osho Rajneesh

1. 2.  3. 4. 5.

मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का रहस्य: ओशो

मूर्ति की प्राण—प्रतिष्ठा का रहस्य: प्रश्न: ओशो प्राण—प्रतिष्ठा का क्या महत्व है ?   हां ,  बहुत महत्व है। असल में ,  प्राण—प्रतिष्ठा का मतलब ही यह है। उसका मतलब ही यह है कि हम एक नई मूर्ति तो बना रहे हैं , लेकिन पुराने समझौते के अनुसार बना रहे हैं। और पुराना समझौता पूरा हुआ कि नहीं ,  इसके इंगित मिलने चाहिए। हम अपनी तरफ से जो पुरानी व्यवस्था थी ,  वह पूरी दोहराएंगे। हम उस मूर्ति को अब मृत न मानेंगे ,  अब से हम उसे जीवित मानेंगे। हम अपनी तरफ से पूरी व्यवस्था कर देंगे जो जीवित मूर्ति के लिए की जानी थी। और अब सिंबालिक प्रतीक मिलने चाहिए कि वह प्राण—प्रतिष्ठा स्वीकार हुई कि नहीं। वह दूसरा हिस्सा है ,  जो कि हमारे खयाल में नहीं रह गया। अगर वह न मिले ,  तो प्राण—प्रतिष्ठा हमने तो की ,  लेकिन हुई नहीं। उसके सबूत मिलने चाहिए। तो उसके सबूत के लिए चिह्न खोजे गए थे कि वे सबूत मिल जाएं तो ही समझा जाए कि वह मूर्ति सक्रिय हो गई।  मूर्ति एक रिसीविंग प्‍वाइंट: ऐसा ही समझ लें कि आप घर में एक नया रेडियो इंस्टाल करते हैं। तो पहले तो वह रेडियो ठीक होना चाहिए ,  उसकी सारी यंत्र