"अगर दुनिया के सभी सफल लोग ईमानदारी से कह दें कि उनकी सफलता से उन्हें कुछ भी न मिला है, तो बहुत से व्यर्थ सपनों की दौड़ बंद हो जाए।" - ओशो अमरीका का एक बहुत प्रसिद्ध प्रेसीडेंट हुआ--कालविन कूलिज। बड़ा शांत आदमी था। भूल से ही वह राष्ट्रपति हो गया; क्योंकि उतने शांत आदमी उतनी अशांत जगहों तक पहुंच नहीं सकते। वहां पहुंचने के लिए बिलकुल पागल दौड़ चाहिए। वहां जो जितना ज्यादा पागल, वह छोटे पागलों को दबा कर आगे निकल जाता है। कूलिज कैसे पहुंच गया, यह चमत्कार है। बिलकुल शांत आदमी था--न बोलता, न चालता। कहते हैं किसी-किसी दिन ऐसा हो जाता कि दस-पांच शब्दों से ज्यादा न बोलता। जब दुबारा फिर राष्ट्रपति के चुनाव का समय आया तो मित्रों ने कहा कि तुम फिर खड़े हो जाओ। उसने कहा कि नहीं। तो उन्होंने कहा कि क्या बात है? पूरा मुल्क राजी है तुम्हें फिर से राष्ट्रपति बनाने को। उसने कहा कि अब नहीं, एक बार भूल हो गई काफी; पहुंच कर कुछ भी न पाया। अब पांच साल और खराब मैं न करूंगा। और फिर राष्ट्रपति के आगे बढ़ती का कोई उपाय भी नहीं है। जो रह चुके, रह चुके; अब उसके आगे जाने की कोई जगह भी नहीं है। जग
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