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हारे हुए नेता - ओशो

हारे हुए नेता जी ..........
-ओशो 



अभी मैंने सुना कि जब जनता पार्टी हार गई और जनता पार्टी के नेता सब बेकार हो गए और हालत उनकी खस्ता हो गई--गए सब पदगए सब बंगलेगई सब कारेंलूट-खसोट के सब अवसर भी गए--तो जगह-जगह तलाश करने लगे काम की। और राजनेताओं को कौन काम दे! लोग वोट दे देते हैं कि लो भई वोट ले लो,सार्वजनिक संपत्ति को लूटोमगर काम पर अपने घर में कौन रखे! राजनेता को कोई अपने घर में रखेगा काम परक्या हरकत करे क्या पता! कोई काम देने को राजी नहीं। तो एक राजनेतासरकस आई थीउसमें चला गया। सरकस के मैनेजर से कहा कि अब तो बहुत हालत हो रही हैकड़की की हालत हो गई है। कोई न कोई काम चाहिए।
उसने कहाभाई और तो कोई काम नहीं है,हमारा सिंह मर गया हैतो उसकी खाल निकाल कर रख ली हैतुम उसमें प्रवेश कर जाओ। और तुम्हारे साथ में हम टेप-रिकार्डर दे देते हैंसो अंदर से ही समय-समय पर टेप-रिकार्डरअपने आपआटोमेटिक है हुंकार भरेगा। इसमें रेकार्ड की हुई है सिंह की हुंकार। सो यह जब हुंकार भरेतुम मुंह बा देना। दहाड़ जाएगा। एकदम सारे सरकस में आए लोगों की छाती बदल जाएगी। और बाकी तुम्हारा कोई काम नहीं है। और चक्कर काटते रहना कटघरे में।
उसने कहायह भी अच्छा है।
यह फुरसत का काम भी है। और कोई खास नहींविश्राम हैबाकी दिन आराम है। शाम को भर जब सरकस देखने लोग आएंतब टहलने लगना और बीच-बीच में दहाड़ देते वक्त खयाल रखना कि मुंह खोल देना। इतना ही तुम्हारा काम है।
नेता राजी हो गया। टेप-रिकार्डर लेकर शेर की खाल में घुस गयाजाकर अंदर आयादहाड़ मारी। एकदम तहलका मच गया। बच्चे रोने लगेस्त्रियां बेहोश होने लगीं। कोई असली सिंह भी क्या ऐसा दहाड़ेगाक्योंकि टेप-रिकार्डर की हुई आवाज थीउसको खूब बढ़ा कर तैयार किया गया था। प्रसन्न हुआ कि यह काम भी अच्छा हैमजा भी आएगा। कई खादीधारी उसने देखे कंप रहे हैं। कई जनता पार्टी के लोग भी डर रहे हैं। उसने कहायह भी अच्छा रहा। तभी उसने देखा कि दरवाजा खुला कटघरे का और दूसरा सिंह दहाड़ मारता अंदर आया। वह तो भूल ही गया। चिल्लाया एकदम कि बचाओ! बचाओ! मारे गए!
जनता तो हैरान हो गई कि सिंह यह क्या कह रहा है! सरकस तो बहुत देखे थेमगर सिंह साफ हिंदी में बोल रहा है--बचाओबचाओ! मारे गए! वह भूल ही गया। यह तो झंझट हो गईयह कभी बताया ही नहीं था मैनेजर ने कि दूसरा सिंह भी अंदर आएगा। वह तो सोच रहा थाअकेले ही टहलना है। दूसरे सिंह ने कहा,अबे उल्लू के पट्ठेचुप रह! तू क्या समझता है कि तू ही चुनाव हारा हैतब राज खुला कि वे दूसरे नेता हैं। मगर तभी तक पहले सिंह का जीवन-जल बह गया था। फिर उस दूसरे सिंह ने कहा कि कम से कम इसको सम्हाल! अगर हमारे नेता मोरारजी देसाई को पता चल गया तो वे बहुत नाराज होंगेक्योंकि यह बड़ी बहुमूल्य चीज है! इसको ऐसे नष्ट नहीं करते भैया!
अभी मैंने सुना कि दिल्ली में जनता पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक हुईछह घंटे तक चली। सब नेता उठ-उठ कर बाथरूम गएसिर्फ मोरारजी नहीं गए। पत्रकार भी चिंतित हुए--जो बाहर बैठे थे इस आशा में कि कुछ खुसुर-पुसुर नेता करते हुए निकलते हैंतो उनसे कुछ खबरें मिल जाएंगी। वे भी चिंतित हुए। सब गएमगर सिर्फ मोरारजी नहीं गए। तो किसी से पूछा उन्होंने कि सब बाथरूम गएकोई दो दफा गया,कोई तीन दफेछह घंटे का लंबा वक्तमोरारजी नहीं गए! तो जिससे पूछाउसने कहा कि मेरा नाम भर मत छापना। इतनी बहुमूल्य चीज को वे सम्हाल कर रखते हैं! ऐसा हर जगह बरबाद नहीं करते फिरते।
तो या तो नकली सिंह रहे होंगेजिनकी तुम बात कर रहे कि बुद्धपुरुषों के पास...नाग या शेर या सिंह जैसे पशु भी...बुद्धपुरुषों के पास आकर बैठते थे। और या फिर खाए-पीए रहे होंगे। वैसे नागों में सत्तानबे प्रतिशत में जहर होता नहीं,तीन ही प्रतिशत में होता है। वे बहुत मुश्किल से मिलते हैं जहरीले। लोग मर जाते हैंवे इसलिए मर जाते हैं कि सांप ने काटा। कोई जहर से कम ही लोग मरते हैं। इसलिए सांप झाड़ने वाले सफल हो जाते हैं। सत्तानबे प्रतिशत सांप झाड़ने वाला सफल हो जाता हैक्योंकि सांप जहरीला होता ही नहीं सत्तानबे प्रतिशत मौकों पर। मगर यह घबराहट कि सांप काट गयामारे गए--पर्याप्त है मारने को।
इन कहानियों से तुम यह अर्थ मत ले लेना कि ऐसे सांप और बिच्छू और शेर और सिंह बुद्ध पुरुषों को पहचान गए और उनके पास बैठ कर सत्संग करने लगेंगे। इस भ्रांति में मत पड़ना। आदमी नहीं पहचान पाता तो ये बेचारे गरीब जानवर क्या पहचानेंगे! मगर कहानियां यह कह रही हैं कि गरीब जानवर भी पहले पहचान लेंगे और आदमी नहीं पहचान पाएगा। कहानियां यह कह रही हैं कि धिक्कार है आदमी तुझ पर! कि ये पशु भी पहचान लें शायदमगर तू नहीं पहचान पाता। कहानियां तो सिर्फ तुम्हें सूचना दे रही हैं तुम्हारी मूर्च्छा की।
ये प्रतीक-कथाएं हैं। इनमें चमत्कार मत समझ लेना। हम इनकी जो व्याख्या कर लेते हैंहमारे पंडित-पुरोहित जो व्याख्या कर लेते हैंवह चमत्कार की होती है। और हम चमत्कार की जब व्याख्या कर लेते हैंहम कहानियों का सारा अर्थ नष्ट कर देते हैं। महावीर को सांप ने काटा थातो दूध निकला। बस जैन पंडित-पुरोहित लगे हैं सदियों से व्याख्या करने मेंकि महावीर इतने अदभुत व्यक्ति थे कि उनके शरीर में खून नहींदूध ही दूध भरा था। एक जैन मुनि से मैंने पूछा कि तुम थोड़ा सोचो तो कि अगर दूध ही दूध भरा होतो कब का दही जम गया होता! और महावीर से ऐसी दही कि गंध उठती कि पहली तो बात सांप पास आता ही नहींकाटना तो दूर रहा।

प्रवचन - 14

प्रितम छवि नैनन बसी-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो
तथाता और विद्रोह—(चौदहवां प्रवचन)
दिनांक २४ मार्च१९८०श्री रजनीश आश्रमपूना

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