Skip to main content

ध्यान सूत्र। (Dhyan sutra -ओशो Pdf file


ध्यान सूत्र। (Dhyan sutra)

                                -ओशो


DHYAAN SUTRA
〰〰
🎙HINDI
📆1965
💿9 DISCOURSES

अनुक्रमणिका :
प्रवचन 1 - प्यास और संकल्प    3

प्रवचन 2 - शरीर-शुद्धि के अंतरंग सूत्र    18

प्रवचन 3 - चित्त-शक्तियों का रूपांतरण    42

प्रवचन 4 - विचार-शुद्धि के सूत्र    62

प्रवचन 5 - भाव-शुद्धि की कीमिया    77

प्रवचन 6 - सम्यक रूपांतरण के सूत्र    96

प्रवचन 7 - शुद्धि और शून्यता से समाधि फलित    119

प्रवचन 8 - समाधि है द्वार    133

प्रवचन 9 - आमंत्रण--एक कदम चलने का 

👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
Download Dhyan Sutra (ध्यान सूत्र) PDF

Comments

Post a Comment

ओशो देशना (अविरल,अविस्मरणीय और आनंददायी)

Shiv sutra शिव सूत्र (ओशो) PDF

शिव—सूत्र—(ओशो) (समाधि साधपा शिवर, श्री ओशो आश्रम, पूना। दिनांक 11 से 20 सितंबर, 1974 तक ओशो द्वारा दिए गए दस अमृत—प्रवचनो का संकलन। Download Shiv Sutra (शिव सूत्र) PDF अनुक्रम         #1: जीवन-सत्य की खोज की दिशा         #2: जीवन-जागृति के साधना-सूत्र         #3: योग के सूत्र : विस्मय, वितर्क, विवेक         #4: चित्त के अतिक्रमण के उपाय         #5: संसार के सम्मोहन, और सत्य का आलोक         #6: दृष्टि ही सृष्टि ‍है         #7: ध्यान अर्थात चिदात्म सरोवर में स्नान         #8: जिन जागा तिन मानिक पाइया         #9: साधो, सहज समाधि भली!         #10: साक्षित्व ही शिवत्व है   Description Reviews

जीवन की खोज – Jeevan Ki खोज pdf osho

जीवन की खोज – Jeevan Ki Khoj अनुक्रम       #1: प्यास       #2:  मार्ग       #3: द्वार       #4: प्रवेश Download Jeevan Ki Khoj (जीवन की खोज) "Osho" PDF जीवन क्या है? उस जीवन के प्रति प्यास तभी पैदा हो सकती है, जब हमें यह स्पष्ट बोध हो जाए, हमारी चेतना इस बात को ग्रहण कर ले कि जिसे हम जीवन जान रहे हैं, वह जीवन नहीं है। जीवन को जीवन मान कर कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन की तरफ कैसे जाएगा? जीवन जब मृत्यु की भांति दिखाई पड़ता है, तो अचानक हमारे भीतर कोई प्यास, जो जन्म-जन्म से सोई हुई है, जाग कर खड़ी हो जाती है। हम दूसरे आदमी हो जाते हैं। आप वही हैं, जो आपकी प्यास है। अगर आपकी प्यास धन के लिए है, मकान के लिए है, अगर आपकी प्यास पद के लिए है, तो आप वही हैं, उसी कोटि के व्यक्ति हैं। अगर आपकी प्यास जीवन के लिए है, तो आप दूसरे व्यक्ति हो जाएंगे। आपका पुनर्जन्म हो जाएगा। ओशो

होश की साधना - ओशो || मुल्ला नसीरुद्दीन पर ओशो || Osho Jokes in Hindi

होश की साधना - ओशो   एक सुंदर अध्यापिका की आवारगी की चर्चा जब स्कूल में बहुत होने लगी तो स्कूल की मैनेजिंग कमेटी ने दो सदस्यों को जांच-पड़ताल का काम सौंपा। ये दोनों सदस्य उस अध्यापिका के घर पहुंचे। सर्दी अधिक थी, इसलिए एक सदस्य बाहर लान में ही धूप सेंकने के लिए खड़ा हो गया और दूसरे सदस्य से उसने कहा कि वह खुद ही अंदर जाकर पूछताछ कर ले। एक घंटे के बाद वह सज्जन बाहर आए और उन्होंने पहले सदस्य को बताया कि अध्यापिका पर लगाए गए सारे आरोप बिल्कुल निराधार हैं। वह तो बहुत ही शरीफ और सच्चरित्र महिला है। इस पर पहला सदस्य बोला, "ठीक है, तो फिर हमें चलना चाहिए। मगर यह क्या? तुमने केवल अंडरवीयर ही क्यों पहन रखी है? जाओ, अंदर जाकर फुलपेंट तो पहन लो।" यहां होश किसको? मुल्ला नसरुद्दीन एक रात लौटा। जब उसने अपना चूड़ीदार पाजामा निकाला तो पत्नी बड़ी हैरान हुई; अंडरवीयर नदारद!! तो उसने पूछा, "नसरुद्दीन अंडरवीयर कहां गया?" नसरुद्दीन ने कहा कि अरे! जरूर किसी ने चुरा लिया!! अब एक तो चूड़ीदार पाजामा! उसमें से अंडरवीयर चोरी चला जाए और पता भी नहीं चला!! चूड़ीदार पाजामा नेतागण पहनते ...

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है - ओशो

हंसा तो मोती चूने--(लाल नाथ)-प्रवचन-10 अवल गरीबी अंग बसै—दसवां प्रवचन  दसवा प्रवचन ; दिनाक 20 मई ,  1979 ; श्री रजनीश आश्रम ,  पूना यह महलों ,  यह तख्तों ,  यह ताजों की दुनिया यह इन्सां के दुश्मन समाजों की दुनिया  यह दौलत के भूखे रिवाजों की दुनिया  यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! हर एक जिस्म घायल ,  हर इक रूह प्यासी निगाहों में उलझन ,  दिलों में उदासी यह दुनिया है या आलमे-बदहवासी यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! यहां इक खिलौना है इन्सां की हस्ती यह बस्ती है मुर्दा -परस्तों की बस्ती यहां पर तो जीवन से है मौत सस्ती यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! जवानी भटकती है बदकार बनकर जवा जिस्म सजते हैं बाजार बनकर यहां प्यार होता है व्योपार बनकर यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! यह दुनिया जहां आदमी कुछ नहीं है वफा कुछ नहीं ,  दोस्ती कुछ नहीं है जहां प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! जला दो उसे फूंक डालो यह दुनिया मेरे सामने से हटा लो...

कृष्ण स्मृति-ओशो Pdf

     कृष्ण स्मृति             -ओशो। (ओशो द्वारा कृष्ण के बहु-आयामी व्यक्तित्व पर दी गई 21 र्वात्ताओं एवं नव-संन्यास पर दिए गए एक विशेष प्रवचन का अप्रतिम संकलन। यही वह प्रवचनमाला है जिसके दौरान ओशो के साक्षित्व में संन्यास ने नए शिखरों को छूने के लिए उत्प्रेरणाली और "नव संन्यास अंतर्राष्ट्रीय' की संन्यास-दीक्षा का सूत्रपात हुआ।) File name :- कृष्ण स्मृति  Language :- Hindi Size:- 6mb 504 pages  Download Pdf file here अनुक्रमणिका : प्रवचन 1 - हंसते व जीवंत धर्म के प्रतीक कृष्ण    2 प्रवचन 2 - इहलौकिक जीवन के समग्र स्वीकार के प्रतीक कृष्ण    22 प्रवचन 3 - सहज शून्यता के प्रतीक कृष्ण    53 प्रवचन 4 - स्वधर्म-निष्ठा के आत्यंतिक प्रतीक कृष्ण    72 प्रवचन 5 - "अकारण'’ के आत्यंतिक प्रतीक कृष्ण    96 प्रवचन 6 - जीवन के बृहत् जोड़ के प्रतीक कृष्ण    110 प्रवचन 7 - जीवन में महोत्सव के प्रतीक कृष्ण    141 प...

संयमित आहार के सूत्र || भोजन करने का सही तरीका - ओशो

संयमित आहार के सूत्र - ओशो  मेरे पास बहुत लोग आते हैं ,   वे कहते हैं ,   भोजन हम ज्यादा कर जाते हैं ,   क्या करें ?   तो मैं उनसे कहता हूं ,   होशपूर्वक भोजन करो। और कोई   डाइटिंग   काम देनेवाली नहीं है। एक दिन ,   दो दिन   डाइटिंग   कर लोगे जबर्दस्ती ,   फिर क्या होगा ?   दोहरा टूट पड़ोगे फिर से भोजन पर। जब तक कि मन की मौलिक व्यवस्था नहीं बदलती ,   तब तक तुम दो-चार दिन उपवास भी कर लो तो क्या फर्क पड़ता है! फिर दो-चार दिन के बाद उसी पुरानी आदत में सम्मिलित हो जाओगे। मूल आधार बदलना चाहिए। मूल आधार का अर्थ है ,   जब तुम भोजन करो ,   तो होशपूर्वक करो ,   तो तुमने मूल बदला। जड़ बदली। होशपूर्वक करने के कई परिणाम होंगे। एक परिणाम होगा ,   ज्यादा भोजन न कर सकोगे। क्योंकि होश खबर दे देगा कि अब शरीर भर गया। शरीर तो खबर दे ही रहा है ,   तुम बेहोश हो ,   इसलिए खबर नहीं मिलती। शरीर की तरफ से तो इंगित आते ही रहे हैं। शरीर तो यंत्रवत खबर भेज देता है कि अब बस ,   रुको। मगर वहां   ...

मैं तुम्हें जगाने आया हूँ - ओशो

मैं तुम्हें जगाने आया हूँ - ओशो  साधारणत: आदमी की जिंदगी क्या है ? कुछ सपने! कुछ टूटे-फूटे सपने! कुछ अभी भी साबित ,  भविष्य की आशा में अटके! आदमी की जिंदगी क्या है ?  अतीत के खंडहर ,  भविष्य की कल्पनाएं! आदमी का पूरा होना क्या है ?  चले जाते हैं ,  उठते हैं ,  बैठते हैं ,  काम करते हैं-कुछ पक्का पता नहीं ,  क्यों ?  कुछ साफ जाहिर नहीं , कहा जा रहे हैं ?  बहुत जल्दी में भी जा रहे हैं। बड़ी पहुंचने की तीव्र उत्कंठा है ,  लेकिन कुछ पक्का नहीं ,  कहां पहुंचना चाहते हैं ?  किस तरफ जाते हो ?       कल मैं एक गीत पढ़ता था साहिर का :       न कोई जादा न कोई मंजिल न रोशनी का सुराग       भटक रही है खलाओं में जिंदगी मेरी       न कोई रास्ता ,  न कोई मंजिल ,       रोशनी का सुराग भी नहीं ;       कोई एक किरण भी नहीं।   ...

चंदूलाल मारवाड़ी - ओशो

जो बोले सो हरि कथा-(प्रश्नोत्तर)-प्रवचन-02 जो बोले सो हरि कथा-(प्रश्नोत्तर)-ओशो प्रवचन-दूसरा-(जीवंत धर्म) श्री रजनीश आश्रम ,  पूरा ,  प्रातः ,  दिनांक २२ जुलाई ,  १९८० दूसरा प्रश्न: भगवान ,  थों तो म्हारा सगला मारवाड़ी समाज री नाक काट कर धर दी! कोई अच्छो भी करो ;  म्हारी लाज रखो! चंपालाल समाज सेवक! बात तो तूने भी बड़ी गजब की कही! मारवाड़ी समाज की कोई नाक है ?  जिसको मैं काट कर रख दूं। अरे ,  वह तो कब की कट गई भैया! किस नाक की बात कर रहे हो ? यही तो खूबी है मारवाड़ी समाज की: कोई लाख नाक काटे ,  नहीं काट सकता। नाक हो तो काटे! मारवाड़ी की नाक तुम काट ही नहीं सकते। किसी और की काट सकते हो ,  काट लेना। मारवाड़ी की नाक कोई नहीं काट सकता। यह तो तुम बिलकुल गलत बात कह रहे हो। तुम कह रहे हो: थों तो म्हारा सगला मारवाड़ी समाज री नाक काट कर धर दी! कोई अच्छो भी करो। म्हारी लाज रखो! लाज--और मारवाड़ी की ?  बड़ा कठिन काम दे रहे हो। चंपालाल समाज सेवक! सवाल तो बड़े कठिन-कठिन लोग पूछते हैं ,  मगर तुमने सबसे कठिन सवाल...

मुक्ति का सूत्र - ओशो

एस धम्‍मो सनंतनो--(प्रवचन--10) देखा तो हर मुकाम तेरी  रहगुजर  में है—(प्रवचन—दसवां) पहला प्रश्न: भगवान ,  एक ही आरजू है कि इस खोपड़ी  से कैसे मुक्ति हो जाए ?  आपकी शरण आया हूं। एक युवक भिक्षु  नागार्जुन  के पास आया और उसने कहा कि मुझे मुक्त होना है। और उसने कहा कि जीवन लगा देने की मेरी तैयारी है। मैं मरने को तैयार हूं ,  लेकिन मुक्ति मुझे चाहिए। कोई भी कीमत हो ,  चुकाने  को राजी हूं। अपनी तरफ से तो वह बड़ी समझदारी की बातें कह रहा था। चिन्मय ने भी यही पूछा है आगे प्रश्न में: सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है उसने भी यही कहा होगा  नागार्जुन  को कि मरने की तैयारी है ;  अब तुम्हारे हाथ में सब बात है। मुझसे न कह  सकोगे  कि मैंने कुछ कमी की प्रयास में। मैं सब करने को तैयार हूं। अपनी तरफ से वह ईमानदार था। उसकी ईमानदारी पर शक भी क्या करें! मरने को तैयार था--और क्या आदमी से मांग सकते हो ?  लेकिन ईमानदारी कितनी ही हो ,  भ्...