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भक्ति सूत्र -ओशो। Narad Bhakti Sutra Pdf file

भक्ति सूत्र
          -ओशो।

Narad Bhakti Sutra
Pdf file

अनुक्रम :-


१.परम प्रेमरूपा है भक्ति
२.स्वयं को मिटाने की कला है भक्ति
३.बड़ी संवेदनशील है भक्ति
४.सहजस्फूर्त अनुशासन है भक्ति
५.कलाओं की कला है भक्ति
६.प्रसादस्वरूपा है भक्ति
७.योग और भोग का संगीत है भक्ति
८.अनंत के आंगन में नृत्य है भक्ति
९.हृदय का आंदोलन है भक्ति
१॰.परम मुक्ति है भक्ति
११.शून्य की झील में प्रेम का कमल है भक्ति
१२.अभी और यहीं है भक्ति
१३.शून्य का संगीत है प्रेमा-भक्ति
१४.असहाय हृदय की आह है प्रार्थना-भक्ति
१५.हृदय-सरोवर का कमल है भक्ति
१६.उदासी नहीं–उत्सव है भक्ति
१७.कान्ता जैसी प्रतिबद्धता है भक्ति
१८.एकांत के मंदिर में है भक्ति
१९.प्रज्ञा की थिरता है मुक्ति
२॰.अहोभाव, आनंद, उत्सव है भक्ति

Book:- Narad Bhakti Sutra Osho
Language :-Hindi
Size :- 3mb
440 pages

Download Bhakti Sutra Pdf (भक्ति सूत्र)

भक्ति-सूत्र : एक झरोखा



भक्ति यानी प्रेम–ऊर्ध्वमुखी प्रेम।
भक्ति यानी दो व्यक्तियों के बीच का प्रेम नहीं, व्यक्ति और समाष्टि के बीच का प्रेम।
भक्ति यानी सर्व के साथ प्रेम में गिर जाना। भक्ति यानी सर्व को आलिंगन करने की चेष्टा। और, भक्ति यानी सर्व को आमंत्रण कि मुझे आलिंगन कर ले !
भक्ति कोई शास्त्र नहीं है–यात्रा है।
भक्ति कोई सिद्धांत नहीं है–जीवन-रस है। भक्ति को समझ कर कोई समझ पाया नहीं। भक्ति में डूब कर ही कोई भक्ति के राज को समझ पाता है।

नाद कहीं ज्यादा करीब है विचार से। गीत कहीं ज्यादा करीब है गद्य से। हृदय करीब है मस्तिष्क से।
भक्ति-शास्त्र शास्त्रों में नहीं लिखा है–भक्तों के हृदय में लिखा है।
भक्ति-शास्त्र शब्द नहीं सिद्धांत नहीं, एक जीवंत सत्य है।
जहां तुम भक्त को पा लो, वहीं उसे पढ़ लेना; और कहीं पढ़ने का उपाय नहीं है।
भक्ति बड़ी सुगम है लेकिन जिनकी आँखों में आंसू हों, बस उनके लिए !

ओशो

देवर्षि नारद


...नारद का व्यक्तित्व अगर ठीक से समझा जा सके तो दुनिया में एक नये धर्म का आविर्भाव हो सकता है
–एक ऐसे धर्म का जो संसार और परमात्मा को शत्रु न समझे, मित्र समझे
–एक ऐसे धर्म का, जो जीवन-विरोधी न हो, जीवन-निषेधक न हो, जो जीवन को अहोभाव, आनंद से स्वीकार कर सके
–एक ऐसे धर्म का, जिसका मंदिर जीवन के विपरीत न हो, जीवन की गहनता में हो !
कहा जाता है कि नारद ढाई घड़ी से अधिक एक जगह नहीं टिकते।
क्या टिकता है ?
ढाई घड़ी बहुत ज्यादा समय है।
कुछ भी टिकता नहीं है।
डबरे टिकते हैं, नदियां तो बही चली जाती हैं।
नारद धारा की तरह हैं।
बहाव है उनमें।
प्रवाह है, प्रक्रिया है, गति है, गत्यात्मकता है।

ओशो


Comments

  1. MERA GAV SIDHAWE HAI AUR JILA KHUSHINAGAR ,UP

    AUR MERE EK CHACHA OSHO SANYASI HAI KASIA ME

    JAB GAV JATA THA TO UNHHE OSHO KI MAHIMA GAATE DEKHTA THA, PAR USS SAMAYE SAMJ NHI THI

    AAJ JAAKE OSHO KI MAHIMA SAMJ AAYI AUR

    AAPKA DHANYAWAD ISS PUSTAK KE LIYE

    ReplyDelete

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