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होली ऐसे मत खेलो - ओशो

होली ऐसे मत खेलो - ओशो 



तुम देखते हो न, होली की भी लोगों ने कैसी दुर्गति कर दी है! गुलाल वगैरह कम उड़ती है आजकल, धूल ज्यादा उड़ती है। रंग-वंग तो कोई फेंकता ही नहीं, कोलतार! गोबर घोलकर एक-दूसरे को पोत रहे हैं। लोगों की बुद्धि तो देखो! वसंत का उत्सव गोबर घोलकर मनाया जा रहा है। नाली की कीचड़ निकाल लाते हैं लोग।
मैं रायपुर में कुछ दिनों तक था। होली करीब आने वाली थी। सामने के सज्जन को मैंने देखा कि वे अपनी नाली में कुछ ईंटें लगा रहे हैं। मैंने कहा: क्या कर रहे हो? उन्होंने कहा कि रोक रहे हैं, होली आ रही है, तो इकट्ठा कर रहे हैं। इसी में पटकेंगे लोगों को।
एक तो रायपुर जैसी गंदगी किसी और नगर में खोजना मुश्किल। रायपुर तो हद है। लोग बड़े अभेदभाव को मानते हैं। भेदभाव नहीं करते। कहीं भी पाखाना करेंगे, कहीं भी पेशाब करेंगे..कोई भेदभाव करता ही नहीं। कहां संडास है, कहां सड़क है, इसमें कोई भेदभाव नहीं। अद्वैतवाद। वेदांती हैं लोग। मुझे अपने घर से कालेज तक जाना पड़ता था, कोई डेढ़ मील का फासला था, मैं देख कर दंग रह जाता था, लोग कहीं भी बैठे हैं! महा गंदा नगर है रायपुर। और वहां की नाली को रोक रहे हैं वे ईंटें लगा कर। ग167ा तैयार कर रहे हैं, होली आ रही है!
लोगों ने वसंत के उत्सव को, आनंद के उत्सव को भी कीचड़ फेंकने का उत्सव बना दिया। और तुम देखते हो, लोग होली पर गालियां बकते हैं। साल भर इकट्ठी करते हैं गालियां, होली पर दिल खोल कर निकाल लेते हैं। जिन-जिन को देना थी गाली और नहीं दे सकते थे..क्योंकि हर वक्त गाली दो तो झंझट खड़ी हो जाए..दिल खोल कर होली पर गालियां दे लेते हैं। गीत गाने का उत्सव गालियों में गिर गया। रंग उड़ाने का उत्सव नालियों में गिर गया। आदमी कैसा है! यह हर चीज को विकृत कर लेता है। हर चीज को खराब कर लेता है। इसके हाथ में सोना लग जाए, मिट्टी हो जाता है। अब होली तो हमारा सबसे सुंदर उत्सव था। रंगों का उत्सव, मदमस्ती का उत्सव, गीत गाने का उत्सव, नाचने का उत्सव, ढोल पर ताल पड़े, लोगों के पैरों में घूंघर बंधें। नहीं, वह सब खो गया। लोग गालियां बक रहे हैं। गंदी से गंदी गालियां बक रहे हैं। और गंदे से गंदा मलमूत्र एक-दूसरे के ऊपर फेंक रहे हैं। और इसको कहते हैं होली।
अगर रंग भी पोतते हैं तो ऐसी दुष्टता से पोतते हैं कि रंग तो सिर्प बहाना ही होता है, दुष्टता ही असली चीज होती है। तुम उनको रंग भी पोतते देखो तो तुम देख लोगे कि रंग पोतना उनका इरादा नहीं है, इरादा तो यह सताना है तुम्हें। रंग भी ऐसा खरीद कर लाते हैं कि तुम धो-धो कर मर जाओ तो निकल न सके। इस देश में हर चीज का रंग कच्चा, सिर्प होली पर पक्का रंग मिलता है..पता नहीं कहां से मिल जाता है? कोई कपड़े का रंग पक्का नहीं, मगर होली के लिए बचा कर रखते हैं पक्का रंग।


झरत दसहुं दिस मोती-(प्रवचन-17)

सत्रहवां--प्रवचन
अपने प्रिय संग होरी खेलौं
                                         ओशो 

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ओशो देशना (अविरल,अविस्मरणीय और आनंददायी)

जीवन की खोज – Jeevan Ki खोज pdf osho

जीवन की खोज – Jeevan Ki Khoj अनुक्रम       #1: प्यास       #2:  मार्ग       #3: द्वार       #4: प्रवेश Download Jeevan Ki Khoj (जीवन की खोज) "Osho" PDF जीवन क्या है? उस जीवन के प्रति प्यास तभी पैदा हो सकती है, जब हमें यह स्पष्ट बोध हो जाए, हमारी चेतना इस बात को ग्रहण कर ले कि जिसे हम जीवन जान रहे हैं, वह जीवन नहीं है। जीवन को जीवन मान कर कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन की तरफ कैसे जाएगा? जीवन जब मृत्यु की भांति दिखाई पड़ता है, तो अचानक हमारे भीतर कोई प्यास, जो जन्म-जन्म से सोई हुई है, जाग कर खड़ी हो जाती है। हम दूसरे आदमी हो जाते हैं। आप वही हैं, जो आपकी प्यास है। अगर आपकी प्यास धन के लिए है, मकान के लिए है, अगर आपकी प्यास पद के लिए है, तो आप वही हैं, उसी कोटि के व्यक्ति हैं। अगर आपकी प्यास जीवन के लिए है, तो आप दूसरे व्यक्ति हो जाएंगे। आपका पुनर्जन्म हो जाएगा। ओशो

ध्यान सूत्र। (Dhyan sutra -ओशो Pdf file

ध्यान सूत्र। (Dhyan sutra)                                 -ओशो DHYAAN SUTRA 〰〰 🎙HINDI 📆1965 💿9 DISCOURSES अनुक्रमणिका : प्रवचन 1 - प्यास और संकल्प    3 प्रवचन 2 - शरीर-शुद्धि के अंतरंग सूत्र    18 प्रवचन 3 - चित्त-शक्तियों का रूपांतरण    42 प्रवचन 4 - विचार-शुद्धि के सूत्र    62 प्रवचन 5 - भाव-शुद्धि की कीमिया    77 प्रवचन 6 - सम्यक रूपांतरण के सूत्र    96 प्रवचन 7 - शुद्धि और शून्यता से समाधि फलित    119 प्रवचन 8 - समाधि है द्वार    133 प्रवचन 9 - आमंत्रण--एक कदम चलने का  👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻 Download Dhyan Sutra (ध्यान सूत्र) PDF

Shiv sutra शिव सूत्र (ओशो) PDF

शिव—सूत्र—(ओशो) (समाधि साधपा शिवर, श्री ओशो आश्रम, पूना। दिनांक 11 से 20 सितंबर, 1974 तक ओशो द्वारा दिए गए दस अमृत—प्रवचनो का संकलन। Download Shiv Sutra (शिव सूत्र) PDF अनुक्रम         #1: जीवन-सत्य की खोज की दिशा         #2: जीवन-जागृति के साधना-सूत्र         #3: योग के सूत्र : विस्मय, वितर्क, विवेक         #4: चित्त के अतिक्रमण के उपाय         #5: संसार के सम्मोहन, और सत्य का आलोक         #6: दृष्टि ही सृष्टि ‍है         #7: ध्यान अर्थात चिदात्म सरोवर में स्नान         #8: जिन जागा तिन मानिक पाइया         #9: साधो, सहज समाधि भली!         #10: साक्षित्व ही शिवत्व है   Description Reviews

जिन खोजा तिन पाइयां -ओशो Pdf

जिन खोजा तिन पाइयां।                          -ओशो (कुंडलिनी - योग पर ध्यान शिविर, नारगोल में ध्यान प्रयोगों के साथ प्रवचन एवम मुम्बई में प्रश्नोत्तर चर्चाओं सहित "19" ओशो प्रवचनों का अपूर्व संकलन) pdf file  428 pages Download Pdf file Here Language :- Hindi  Size :- 3.3mb Type :- Pdf file जिन खोजा तिन पाइयां ऊर्जा का विस्तार है जगत और ऊर्जा का सघन हो जाना ही जीवन है। जो हमें पदार्थ की भांति दिखाई पड़ता है, जो पत्थर की भांति भी दिखाई पड़ता है, वह भी ऊर्जा, शक्ति है। जो हमें जीवन की भांति दिखाई पड़ता है, जो विचार की भांति अनुभव होता है, जो चेतना की भांति प्रतीत होता है, वह भी उसी ऊर्जा, उसी शक्ति का रूपांतरण है। सारा जगत-- चाहे सागर की लहरें, और चाहे सरू के वृक्ष, और चाहे रेत के कण, और चाहे आकाश के तारे, और चाहे हमारे भीतर जो है वह, वह सब एक ही शक्ति का अनंत-अनंत रूपों में प्रगटन है। ओशो  कुंडलिनी-यात्रा पर ले चलने वाली इस अभूतपूर्व पुस्तक के कुछ विषय बिंदु: शरीर में छिपी अनंत ऊर्जाओं को जगाने का एक आह्वान सात चक्रों व सात शरीरो

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कृष्ण स्मृति-ओशो Pdf

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होश की साधना - ओशो || मुल्ला नसीरुद्दीन पर ओशो || Osho Jokes in Hindi

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संयमित आहार के सूत्र || भोजन करने का सही तरीका - ओशो

संयमित आहार के सूत्र - ओशो  मेरे पास बहुत लोग आते हैं ,   वे कहते हैं ,   भोजन हम ज्यादा कर जाते हैं ,   क्या करें ?   तो मैं उनसे कहता हूं ,   होशपूर्वक भोजन करो। और कोई   डाइटिंग   काम देनेवाली नहीं है। एक दिन ,   दो दिन   डाइटिंग   कर लोगे जबर्दस्ती ,   फिर क्या होगा ?   दोहरा टूट पड़ोगे फिर से भोजन पर। जब तक कि मन की मौलिक व्यवस्था नहीं बदलती ,   तब तक तुम दो-चार दिन उपवास भी कर लो तो क्या फर्क पड़ता है! फिर दो-चार दिन के बाद उसी पुरानी आदत में सम्मिलित हो जाओगे। मूल आधार बदलना चाहिए। मूल आधार का अर्थ है ,   जब तुम भोजन करो ,   तो होशपूर्वक करो ,   तो तुमने मूल बदला। जड़ बदली। होशपूर्वक करने के कई परिणाम होंगे। एक परिणाम होगा ,   ज्यादा भोजन न कर सकोगे। क्योंकि होश खबर दे देगा कि अब शरीर भर गया। शरीर तो खबर दे ही रहा है ,   तुम बेहोश हो ,   इसलिए खबर नहीं मिलती। शरीर की तरफ से तो इंगित आते ही रहे हैं। शरीर तो यंत्रवत खबर भेज देता है कि अब बस ,   रुको। मगर वहां   रुकनेवाला   बेहोश है। उसे खबर नहीं मिलती। शरीर तो टेलीग्राम दिये जाता है ,   लेकिन जिसे मिलना चाहिए वह सोया ह

प्यास और संकल्प | ध्यान सूत्र - ओशो

संकल्प कैसे लें - ओशो 1. सबसे पहली बात ,  सबसे पहला सूत्र , जो स्मरण रखना है ,  वह यह कि आपके भीतर एक वास्तविक प्यास है ?  अगर है ,  तो आश्वासन मानें कि रास्ता मिल जाएगा। और अगर नहीं है , तो कोई रास्ता नहीं है। आपकी प्यास आपके लिए रास्ता बनेगी। 2. दूसरी बात ,  जो मैं प्रारंभिक रूप से यहां कहना चाहूं ,  वह यह है कि बहुत बार हम प्यासे भी होते हैं किन्हीं बातों के लिए ,  लेकिन हम आशा से भरे हुए नहीं होते हैं। हम प्यासे होते हैं , लेकिन आशा नहीं होती। हम प्यासे होते हैं , लेकिन निराश होते हैं। और जिसका पहला कदम निराशा में उठेगा ,  उसका अंतिम कदम निराशा में समाप्त होगा। इसे भी स्मरण रखें , जिसका पहला कदम निराशा में उठेगा ,  उसका अंतिम कदम भी निराशा में समाप्त होगा। अंतिम कदम अगर सफलता और सार्थकता में जाना है ,  तो पहला कदम बहुत आशा में उठना चाहिए। 3. तीसरी बात ,  साधना के इन तीन दिनों में आपको ठीक वैसे ही नहीं जीना है ,  जैसे आप आज सांझ तक जीते रहे हैं। मनुष्य बहुत कुछ आदतों का यंत्र है। और अगर मनुष्य अपनी पुरानी आदतों के घेरे में ही चले ,  तो साधना की नई दृष्टि खोलने म