Skip to main content

पति और पत्नी का संबंध और प्रेम - ओशो

मराैै है जोगी मरौ-(प्रवचन-08)

आओ चाँदनी को बिछाएं, ओढ़े—

प्रवचन—आठवां


8 अक्‍टूबर, 1978;
श्री रजनीश आश्रम, पूना।

आखिरी प्रश्न :

मैं अपनी पत्नी के अतिरिक्त अन्य स्त्रियों में भी उत्सुक हो जाता हूं लेकिन जब मेरी पत्नी किसी पुरुष में उत्सुकता दिखाती है तो मुझे बड़ी ईर्ष्या होती है भयंकर अग्नि में मैं जलता हूं।

पुरुषों ने सदा से अपने लिए सुविधाएं बना रखी थींस्त्रियों को अवरुद्ध कर रखा था। पुरुषों ने स्त्रियों को बंद कर दिया था मकानों की चार दीवारों मेंऔर पुरुष ने अपने को मुक्त रख छोड़ा था। अब वे दिन गए। अब तुम जितने स्वतंत्र होउतनी ही स्त्री भी स्वतंत्र है। और अगर तुम चाहते हो कि ईर्ष्या में न जलों तो दो ही उपाय हैं। एक तो उपाय है कि तुम स्वयं भी वासना से मुक्त हो जाओ। जहा वासना नहीं वहां ईर्ष्या नहीं रह जाती। और दूसरा उपाय है कि अगर वासना से मुक्त न होना चाहो तो कम—से—कम जितना हक तुम्हें हैउतना हक दूसरे को भी दे दो। उतनी हिम्मत जुटाओ।
मैं तो चाहूंगा कि तुम वासना से मुक्त हो जाओ। एक स्त्री जान ली तो सब स्त्रियां जान लीं। एक पुरुष जान लिया तो सब पुरुष जान लिये। फिर जो भेद हैंवे केवल ऊपरी रेखाओं के हैं। और जो एक स्त्री को जानकर स्त्रियों को नहीं जान पायासमझ लेना कि मूर्च्छित होकर जी रहा है। वह अनंत स्त्रियों को जानकर भी नहीं जान पायेगा। वह जान ही नहीं पायेगा। क्योंकि जानना होता है बोध सेवह मूर्च्छित है। वह भागता रहेगा एक को छोड्कर दूसरी के पीछे।
और निश्चित ही तुम जलोगेक्योंकि पुरुष के अहंकार को चोट लगेगी। इसको तो तुम समझते हो बिलकुल ठीक हैकि तुम किसी दूसरे की स्त्री में उत्सुक हो जाओ तो कोई अड़चन नहीं। हम कहते हैं : पुरुष आखिर पुरुष है! पुरुषों ने ही गढ़ ली होगी यह कहावत कि पुरुष आखिर पुरुष है। पुरुषों ने ही यह हिसाब गढ़ लिये कि पुरुष एक से तृप्त नहीं होतापुरुष को अनेक स्त्री चाहियेस्त्री एक से तृप्त हो जाती है। ये पुरुषों की ही तरकीबें हैं। स्त्री को एक से तृप्त होना चाहिये—वह एक तुम हो! और तुम! तुम कैसे एक से तृप्त हो सकते हो,तुम तो पुरुष होपुरुष को तो सुविधा ज्यादा होनी चाहिये!
मैंने सुना हैमुल्ला नसरुद्दीन के पड़ोस में श्रीमान मल्होत्रा नये—नये आकर पड़ोसी हुए। उनकी पत्नी बहुत सुंदर है। मुल्ला ने अपनी पत्नी को चिढ़ाने के लिए एक दिन सुबह उठते से ही कहा कि सुनोनाराज न होनाकुछ दिनों से रोज मुझे सपनों में श्रीमती मल्होत्रा दिखाई पड़ती हैं।
पत्नी बोली : अकेले ही दिखाई देती हैं नमुल्ला बोला. हीपर तुम्हें कैसे पता चला?पत्नी ने कहा : क्योंकि श्रीमान मल्होत्रा मेरे सपनों में आते हैं। मुल्ला इससे बहुत दुखी था। चले थे पत्नी को चिढ़ानेचिढ़ गए खुद।
जितनी स्वतंत्रता तुम अपने लिये चाहते होउतनी ही स्वतंत्रता तुम्हारी पत्नी की भी है। और अगर तुम पाते हो कि नहींपत्नी का दूसरे पुरुषों में उत्सुक होना उचित नहीं हैतो फिर तुम्हारा भी दूसरी स्त्रियों में उत्सुक होना भी उचित नहीं है। और जो तुम चाहते हो तुम्हारी पत्नी करेवह तुम्हें पहले करना चाहियेतभी तुम हकदार हो।
अपनी वासना की दौडों को छोड़ो। और मैं तुमसे यह बात कहे देता हूं : स्त्रियां निश्चित ही इतनी ज्यादा वासनाग्रस्त नहीं होतींजितने पुरुष होते हैं। स्त्रियों के पास एक तरह का समर्पणभाव होता है। और स्त्रियों के पास एक तरह की निष्ठा और आस्था और श्रद्धा होती है। पुरुष का प्रेम भी छिछला होता हैगहरा नहीं होताऊपर—ऊपर होता है। पुरुष की जिंदगी में प्रेम ही सब कुछ नहीं होताऔर भी बहुत चीजें होती हैंस्त्री के जीवन में बस सब कुछ प्रेम ही होता हैऔर सब चीजें प्रेम के ही भीतर समाविष्ट होती हैं। पुरुष के जीवन में और भी कई काम हैंजिनमें प्रेम भी एक काम है। स्त्री के जीवन में और कोई काम ही नहीं हैसारा काम हीसारे काम ही प्रेम में ही समाविष्ट हैं।
पुरुष उच्छृंखल हैपुरुष चंचल है। यह तुम छोटे—छोटे बच्चों में भी देख लेना। छोटा लड़का होशात बैठ ही नहीं सकता। चीजें पटकेगाघड़ी खोलेगामक्खियां पकड़ने लगेगाकुछ—न—कुछ करेगा खटर—पटर। छोटी बच्ची हैवह शात बैठी है एक कोने में। हो सकता हैअपनी गुड़िया को छाती से लगाये हो।
और तुम खयाल रखनास्त्रियों को पता चलना शुरू हो जाता है गर्भ में भी कि लड़का है कि लड़की। अगर जरा संवेदनशील स्त्री होउसे पता चलना शुरू हो जाता हैक्योंकि लड़का वहीं उपद्रव शुरू कर देता है। कहीं टांग मारेगा,कहीं सिर हिलायेगा। लड़की शात होती है। अनुभवी मां को पता चलना शुरू हो जाता है कि लड़का है कि लड़की। उपद्रव के अनुपात से पता चलना शुरू हो जाता है।
इसका वैज्ञानिक कारण है। जीवशास्त्र कहता है कि स्त्री के व्यक्तित्व में अनुपात है,पुरुष के व्यक्तित्व में अनुपात नहीं है। स्त्री के जो अणु हैंवे सम हैं। दो अणुओं से मिलकर जन्म होता है व्यक्ति का—पुरुष और स्त्री के दो अणुओं से मिलकर। पुरुष में चौबीस कोष्ठों वाले अणु होते हैं और तेईस कोष्ठोवाले अणु होते हैं,दो तरह के अणु होते हैं। स्त्री में चौबीस कोष्ठों वाला ही होता है। जब पुरुष का चौबीस कोष्ठों वाला अणु स्त्री के चौबीस कोष्ठों वाले अणु से मिलता है तो लड़की का जन्म होता है। अड़तालीस अणु। सम होता है तौल। तराजू के दोनों पलड़े बराबर होते हैं। और जब पुरुष का तेईस कोष्ठों वाला अणु स्त्री के चौबीस कोष्ठों वाले अणु से मिलता है तो पुरुष का जन्म होता है। एक पलड़ा नीचा होता हैएक पलड़ा ऊंचा होता हैसमतुलता नहीं होती। सैंतालीस कोष्ठ होते हैं—एक तरफ तेईसएक तरफ चौबीस। स्त्री में चौबीस—चौबीस कोष्ठ होते हैं। इसलिये स्त्री ज्यादा सुंदर होती हैसमानुपाती होती है,शात होती है। उसमें एक तरह की समता होती है। एक तरह की थिरता होती है। एक तरह की गोलाई होती है स्त्री के व्यक्तित्व में। पुरुष में थोड़ा—सा तिरछापन होता हैआडा—आड़ा जाता है। उसके वैज्ञानिक आधार भी हैं।
ढब्बू जी और उनकी पत्नी तीर्थयात्रा को गये। ढब्‍बू जी किताबों के बड़े प्रेमी हैंचौबीस घंटे किताबें बगल में दबाये रहते हैं। मंदिर में भी गए—विश्वनाथ के मंदिर में गये होंगे काशी में। ढब्‍बू जी अपनी किताब ही पढ़ रहे हैं मंदिर में भी खड़े होकर। पत्नी प्रार्थना कर रही है। अब उसका दुख तुम समझो। उसने जोर से कहा : हे विश्वनाथ के देवता! इतना भर करनाअगले जन्म में मरकर मैं स्त्री न होऊंकिताब होऊं,ताकि कम—से—कम ढब्‍बू जी के साथ चौबीस घड़ी तो रह सकूं।
ढब्‍बू जी ने सुना। वह भी तत्‍क्षण झुक गए घुटनों के बलहाथ जोड़कर कहा कि हे प्रभु! अगर उसकी प्रार्थना मान ही लो तो तुम इसे टेलीफोन की डायरेक्टरी बनानाताकि हर साल बदल सकूं।
पुरुष का चित्त ऐसा ही चंचल है। इस चंचलता को जाने दो। थोड़े थिर होओ। थोड़े शात होओ। थोड़े जीवन में समझदार होओ। बहुत दौड़ चुके जन्मों—जन्मों तककहां पहुंचे होऔर कब तक दौड़ते रहोगे? अब ठहरो!
ठहरें पांव तो मिले गांव। ठहर जाओ तो गांव मिल जाये। तो जिसकी तलाश है वह मिल जाये। उस ठहरने का नाम ही ध्यान है। चलते रहने का नाम संसार है। ठहर जाने का नाम परमात्मा है।

आज इतना ही।

Comments

Post a Comment

ओशो देशना (अविरल,अविस्मरणीय और आनंददायी)

Shiv sutra शिव सूत्र (ओशो) PDF

शिव—सूत्र—(ओशो) (समाधि साधपा शिवर, श्री ओशो आश्रम, पूना। दिनांक 11 से 20 सितंबर, 1974 तक ओशो द्वारा दिए गए दस अमृत—प्रवचनो का संकलन। Download Shiv Sutra (शिव सूत्र) PDF अनुक्रम         #1: जीवन-सत्य की खोज की दिशा         #2: जीवन-जागृति के साधना-सूत्र         #3: योग के सूत्र : विस्मय, वितर्क, विवेक         #4: चित्त के अतिक्रमण के उपाय         #5: संसार के सम्मोहन, और सत्य का आलोक         #6: दृष्टि ही सृष्टि ‍है         #7: ध्यान अर्थात चिदात्म सरोवर में स्नान         #8: जिन जागा तिन मानिक पाइया         #9: साधो, सहज समाधि भली!         #10: साक्षित्व ही शिवत्व है   Description Reviews

कृष्ण स्मृति-ओशो Pdf

     कृष्ण स्मृति             -ओशो। (ओशो द्वारा कृष्ण के बहु-आयामी व्यक्तित्व पर दी गई 21 र्वात्ताओं एवं नव-संन्यास पर दिए गए एक विशेष प्रवचन का अप्रतिम संकलन। यही वह प्रवचनमाला है जिसके दौरान ओशो के साक्षित्व में संन्यास ने नए शिखरों को छूने के लिए उत्प्रेरणाली और "नव संन्यास अंतर्राष्ट्रीय' की संन्यास-दीक्षा का सूत्रपात हुआ।) File name :- कृष्ण स्मृति  Language :- Hindi Size:- 6mb 504 pages  Download Pdf file here अनुक्रमणिका : प्रवचन 1 - हंसते व जीवंत धर्म के प्रतीक कृष्ण    2 प्रवचन 2 - इहलौकिक जीवन के समग्र स्वीकार के प्रतीक कृष्ण    22 प्रवचन 3 - सहज शून्यता के प्रतीक कृष्ण    53 प्रवचन 4 - स्वधर्म-निष्ठा के आत्यंतिक प्रतीक कृष्ण    72 प्रवचन 5 - "अकारण'’ के आत्यंतिक प्रतीक कृष्ण    96 प्रवचन 6 - जीवन के बृहत् जोड़ के प्रतीक कृष्ण    110 प्रवचन 7 - जीवन में महोत्सव के प्रतीक कृष्ण    141 प...

जीवन की खोज – Jeevan Ki खोज pdf osho

जीवन की खोज – Jeevan Ki Khoj अनुक्रम       #1: प्यास       #2:  मार्ग       #3: द्वार       #4: प्रवेश Download Jeevan Ki Khoj (जीवन की खोज) "Osho" PDF जीवन क्या है? उस जीवन के प्रति प्यास तभी पैदा हो सकती है, जब हमें यह स्पष्ट बोध हो जाए, हमारी चेतना इस बात को ग्रहण कर ले कि जिसे हम जीवन जान रहे हैं, वह जीवन नहीं है। जीवन को जीवन मान कर कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन की तरफ कैसे जाएगा? जीवन जब मृत्यु की भांति दिखाई पड़ता है, तो अचानक हमारे भीतर कोई प्यास, जो जन्म-जन्म से सोई हुई है, जाग कर खड़ी हो जाती है। हम दूसरे आदमी हो जाते हैं। आप वही हैं, जो आपकी प्यास है। अगर आपकी प्यास धन के लिए है, मकान के लिए है, अगर आपकी प्यास पद के लिए है, तो आप वही हैं, उसी कोटि के व्यक्ति हैं। अगर आपकी प्यास जीवन के लिए है, तो आप दूसरे व्यक्ति हो जाएंगे। आपका पुनर्जन्म हो जाएगा। ओशो

ध्यान सूत्र। (Dhyan sutra -ओशो Pdf file

ध्यान सूत्र। (Dhyan sutra)                                 -ओशो DHYAAN SUTRA 〰〰 🎙HINDI 📆1965 💿9 DISCOURSES अनुक्रमणिका : प्रवचन 1 - प्यास और संकल्प    3 प्रवचन 2 - शरीर-शुद्धि के अंतरंग सूत्र    18 प्रवचन 3 - चित्त-शक्तियों का रूपांतरण    42 प्रवचन 4 - विचार-शुद्धि के सूत्र    62 प्रवचन 5 - भाव-शुद्धि की कीमिया    77 प्रवचन 6 - सम्यक रूपांतरण के सूत्र    96 प्रवचन 7 - शुद्धि और शून्यता से समाधि फलित    119 प्रवचन 8 - समाधि है द्वार    133 प्रवचन 9 - आमंत्रण--एक कदम चलने का  👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻 Download Dhyan Sutra (ध्यान सूत्र) PDF

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है - ओशो

हंसा तो मोती चूने--(लाल नाथ)-प्रवचन-10 अवल गरीबी अंग बसै—दसवां प्रवचन  दसवा प्रवचन ; दिनाक 20 मई ,  1979 ; श्री रजनीश आश्रम ,  पूना यह महलों ,  यह तख्तों ,  यह ताजों की दुनिया यह इन्सां के दुश्मन समाजों की दुनिया  यह दौलत के भूखे रिवाजों की दुनिया  यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! हर एक जिस्म घायल ,  हर इक रूह प्यासी निगाहों में उलझन ,  दिलों में उदासी यह दुनिया है या आलमे-बदहवासी यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! यहां इक खिलौना है इन्सां की हस्ती यह बस्ती है मुर्दा -परस्तों की बस्ती यहां पर तो जीवन से है मौत सस्ती यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! जवानी भटकती है बदकार बनकर जवा जिस्म सजते हैं बाजार बनकर यहां प्यार होता है व्योपार बनकर यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! यह दुनिया जहां आदमी कुछ नहीं है वफा कुछ नहीं ,  दोस्ती कुछ नहीं है जहां प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है! जला दो उसे फूंक डालो यह दुनिया मेरे सामने से हटा लो...

होश की साधना - ओशो || मुल्ला नसीरुद्दीन पर ओशो || Osho Jokes in Hindi

होश की साधना - ओशो   एक सुंदर अध्यापिका की आवारगी की चर्चा जब स्कूल में बहुत होने लगी तो स्कूल की मैनेजिंग कमेटी ने दो सदस्यों को जांच-पड़ताल का काम सौंपा। ये दोनों सदस्य उस अध्यापिका के घर पहुंचे। सर्दी अधिक थी, इसलिए एक सदस्य बाहर लान में ही धूप सेंकने के लिए खड़ा हो गया और दूसरे सदस्य से उसने कहा कि वह खुद ही अंदर जाकर पूछताछ कर ले। एक घंटे के बाद वह सज्जन बाहर आए और उन्होंने पहले सदस्य को बताया कि अध्यापिका पर लगाए गए सारे आरोप बिल्कुल निराधार हैं। वह तो बहुत ही शरीफ और सच्चरित्र महिला है। इस पर पहला सदस्य बोला, "ठीक है, तो फिर हमें चलना चाहिए। मगर यह क्या? तुमने केवल अंडरवीयर ही क्यों पहन रखी है? जाओ, अंदर जाकर फुलपेंट तो पहन लो।" यहां होश किसको? मुल्ला नसरुद्दीन एक रात लौटा। जब उसने अपना चूड़ीदार पाजामा निकाला तो पत्नी बड़ी हैरान हुई; अंडरवीयर नदारद!! तो उसने पूछा, "नसरुद्दीन अंडरवीयर कहां गया?" नसरुद्दीन ने कहा कि अरे! जरूर किसी ने चुरा लिया!! अब एक तो चूड़ीदार पाजामा! उसमें से अंडरवीयर चोरी चला जाए और पता भी नहीं चला!! चूड़ीदार पाजामा नेतागण पहनते ...

शिवलिंग का रहस्य - ओशो

शिवलिंग का रहस्य - ओशो पुराण में कथा यह है कि विष्णु और ब्रह्मा में किसी बात पर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि कोई हल का रास्ता न दिखायी पड़ा, तो उन्होंने कहा कि हम चलें और शिवजी से पूछ लें, उनको निर्णायक बना दें। वे जो कहेंगे हम मान लेंगे। तो दोनों गए। इतने गुस्से में थे, विवाद इतना तेज था कि द्वार पर दस्तक भी न दी, सीधे अंदर चले गए। शिव पार्वती को प्रेम कर रहे हैं। वे अपने प्रेम में इतने मस्त हैं कि कौन आया कौन गया, इसकी उन्हें फिक्र ही नहीं है। ब्रह्मा-विष्णु थोड़ी देर खड़े रहे, घड़ी-आधा-घड़ी, घड़ी पर घड़ी बीतने लगी और उनके प्रेम में लवलीनता जारी है। वे एक-दूसरे में डूबे हैं। भूल ही गए अपना विवाद ब्रह्मा और विष्णु और दोनों ने यह शिवजी के ऊपर दोषारोपण किया कि हम खड़े हैं, हमारा अपमान हो रहा है और शिव ने हमारी तरफ चेहरा भी करके नहीं देखा। तो हम यह अभिशाप देते हैं कि तुम सदा ही जननेंद्रियों के प्रतीक-रूप में ही जाने जाओगे। इसलिए शिवलिंग बना। तुम्हारी प्रतिमा कोई नहीं बनाएगा। तुम जननेंद्रिय के ही रूप में ही बनाए जाओगे। वही तुम्हारा प्रतीक होगा। यही हमारा अभिशाप है, ताकि यह बात सद...

मैं तुम्हें जगाने आया हूँ - ओशो

मैं तुम्हें जगाने आया हूँ - ओशो  साधारणत: आदमी की जिंदगी क्या है ? कुछ सपने! कुछ टूटे-फूटे सपने! कुछ अभी भी साबित ,  भविष्य की आशा में अटके! आदमी की जिंदगी क्या है ?  अतीत के खंडहर ,  भविष्य की कल्पनाएं! आदमी का पूरा होना क्या है ?  चले जाते हैं ,  उठते हैं ,  बैठते हैं ,  काम करते हैं-कुछ पक्का पता नहीं ,  क्यों ?  कुछ साफ जाहिर नहीं , कहा जा रहे हैं ?  बहुत जल्दी में भी जा रहे हैं। बड़ी पहुंचने की तीव्र उत्कंठा है ,  लेकिन कुछ पक्का नहीं ,  कहां पहुंचना चाहते हैं ?  किस तरफ जाते हो ?       कल मैं एक गीत पढ़ता था साहिर का :       न कोई जादा न कोई मंजिल न रोशनी का सुराग       भटक रही है खलाओं में जिंदगी मेरी       न कोई रास्ता ,  न कोई मंजिल ,       रोशनी का सुराग भी नहीं ;       कोई एक किरण भी नहीं।   ...

प्रेम और ध्यान - ओशो

विज्ञान भैरव तंत्र की सबसे मूल्यवान विधि विज्ञान भैरव तंत्र में इस विधि को बड़ा मूल्य दिया गया है। जब श्वास न बाहर जाती है, न भीतर, जब सब ठहर गया होता है, उसमें ही डूब जाओ; वहीं से तुम द्वार पा लोगे परमात्मा का। प्रेम भी ऐसी ही घड़ी है। कामना बाहर जाती है, प्रार्थना भीतर जाती है; प्रेम ऐसी घड़ी है, जब तुम न बाहर जाते, न भीतर जाते। और मजा यही है कि जब तुम न बाहर जाते और न भीतर जाते, तो तुम हो ही नहीं सकते। क्योंकि तुम केवल जाने में ‘हो सकते हो, ठहरने में नहीं हो सकते। जब तुम्हारी श्वास ठहर जाती है, तब तुम नहीं होते; तुम मिट गए होते हो। अहंकार रह ही नहीं सकता वहां। अहंकार के लिए गति चाहिए। अहंकार के लिए सक्रियता चाहिए। अहंकार के लिए कर्म चाहिए। कुछ हो तो अहंकार बच सकता है; कुछ भी न हो रहा हो तो अहंकार कैसे बचेगा? अहंकार उपद्रव है। इसलिए अहंकारी शांत नहीं बैठ सकता। मेरे पास अहंकारी आ जाते हैं; वे कहते हैं, ध्यान करना है, शांत बैठना है, लेकिन बैठ नहीं सकते शांत। अहंकारी शांत नहीं बैठ सकता, क्योंकि उसे लगता है कि यह तो समय व्यर्थ गया; इतनी देर में तो कुछ अहंकार की पूंजी कमा लेते, क...

भागो मत , जागो - ओशो

भागो मत , जागो - ओशो आदमी जिससे बचना चाहता है उसी से टकरा जाता है। आदमी जिससे भागता है उसी से घिर जाता है। पूछो ब्रह्मचारियों से--सिवाय स्त्रियों के और किसी का दर्शन नहीं होता। हो ही नहीं सकता। अगर भगवान भी प्रकट होंगे तो स्त्री की ही शक्ल में प्रकट होंगे। और किसी शक्ल में वे प्रकट नहीं हो सकते। ब्रह्मचारी का कपट है बेचारे का, वह सेक्स से लड़ रहा है इसलिए सेक्स घिर गया है। इसीलिए तो ऋषि-मुनि स्त्रियों के लिए इतनी नाराजगी जाहिर करते हैं। यह नाराजगी किसके लिए है? वह स्त्रियां उनको घेर लेती हैं, उनके लिए है। असली स्त्रियों के लिए नहीं। असली स्त्रियों से क्या मतलब है? ऋषि-मुनि कहते हैं। स्त्रियां नर्क का द्वार है। स्त्री से बचो।  यह किससे बचने के लिए कह रहे हो? वह जो भीतर स्त्री उनको घेरती हैं। घेरती क्यों है? स्त्री से भागते हैं इसलिए स्त्री घेरती है। जिससे भागोगे, वह घेर लेगा। जिससे बचोगे, वह पकड़ लेगा। जिसको हटाओगे, वह आ जाएगा। जिसको कहोगे मत आओ। वह समझ जाएगा कि डर गए हो। आना जरूरी है। वह आ जाएगा। चित्त से लड़ना, चित्त के विचार से लड़ना आत्मघातक है। फिर वही उलझन हो जाएगी। इससे बच...